आधुनिक >> ईश्वर की खोज में त्रिशंकु ईश्वर की खोज में त्रिशंकुपीयूष विनोद
|
7 पाठकों को प्रिय 416 पाठक हैं |
विज्ञान के साथ फंतासी का सुमेल रखता पीयूष विनोद का अति पठनीय उपन्यास
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
हिन्दी में विज्ञान-फंतासी कथाओं के अभाव वाले समय में इस उपन्यास का आना स्वागत योग्य कदम है। त्रिशंकु के मिथक को विज्ञान-कथा का रूप देकर उपन्यासकार पीयूष विनोद ने हिन्दी पाठकों को एलियन्स और रासोस्टर की दुनिया से परिचित कराने का सार्थक प्रयास किया है।
इस उपन्यास में महाराज-सुकर्णा, विंटर-एंजिला और चत्साल जैसे मुख्य पात्रों को लेकर दूसरे ग्रहों की यात्रा-कथा के बहाने से जो अनजानी-अजनबी दुनिया की कथा कही गयी है, वह जानकारीपूर्ण होने के साथ-साथ रोचक भी है। इस रोचकता को कायम रखने में नई दुनिया की रूपकथा के अलावा व्यंग्यपूर्ण भाषा का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान के साथ फंतासी का सुमेल इस उपन्यास के पाठ प्रवाह और इसकी उत्सुकता को अन्त तक बनाये रखता है। लेखक का पहला उपन्यास होने के बावजूद ‘ईश्वर की खोज में त्रिशंकु’ बेहद पठनीय और रोचक बन पड़ा है।
इस उपन्यास में महाराज-सुकर्णा, विंटर-एंजिला और चत्साल जैसे मुख्य पात्रों को लेकर दूसरे ग्रहों की यात्रा-कथा के बहाने से जो अनजानी-अजनबी दुनिया की कथा कही गयी है, वह जानकारीपूर्ण होने के साथ-साथ रोचक भी है। इस रोचकता को कायम रखने में नई दुनिया की रूपकथा के अलावा व्यंग्यपूर्ण भाषा का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान के साथ फंतासी का सुमेल इस उपन्यास के पाठ प्रवाह और इसकी उत्सुकता को अन्त तक बनाये रखता है। लेखक का पहला उपन्यास होने के बावजूद ‘ईश्वर की खोज में त्रिशंकु’ बेहद पठनीय और रोचक बन पड़ा है।
|
लोगों की राय
No reviews for this book